टीम इंडिया के घातक खिलाड़ियों में से एक शिखर धवन भी है। जिनको न्यूजीलैंड के खिलाफ आगामी वनडे सीरीज के लिए टीम इंडिया की कप्तानी सौंपी गई है। मुकाबले से पहले शिखर धवन ने अपनी रणनीति और बतौर कप्तान फैसले लेने की क्षमता पर बात की। गब्बर कहते हैं कि,”वह अब एक कप्तान के रूप में परिपक्व हो गए हैं। उन्होंने कहा कि वह कप्तान के तौर पर ऐसे फैसले लेने में अब हिचकिचाते नहीं हैं जो किसी खिलाड़ी को भले ही अच्छे ना लगें लेकिन टीम को फायदा पहुंचा सके”।
अब तक की कप्तानी रही सफल
हाल ही में भारतीय टीम ने न्यूजीलैंड को T20 सीरीज में 1-0 से मात दे दिया है। हालांकि इस सीरीज की कप्तानी शिखर धवन के हाथों में नहीं बल्कि हार्दिक पांड्या कर रहे थे। लेकिन वनडे सीरीज में टीम इंडिया के कप्तान शिखर धवन को ही बनाया गया है। इन दोनों टीमों के बीच तीन मैचों की वनडे सीरीज खेले जाएंगी। जिसका पहला मुकाबला 25 दिसंबर को खेला जाएगा। इससे पहले उनके नेतृत्व में भारत ने श्रीलंका के खिलाफ 3-2 से और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 2-1 से जीत दर्ज की थी। टीम को उनके नेतृत्व में वेस्टइंडीज के खिलाफ 1-4 से हार भी झेलनी पड़ी थी।
तार कसने-ढीला छोड़ने का दिया उदाहरण
नेतृत्व कौशल को लेकर धवन ने आगे कहा कि संतुलन बनाए रखना और खिलाड़ियों का भरोसा जीतना सबसे जरूरी होता है। धवन ने कहा, ‘जब आप किसी तार वाले वाद्य यंत्र पर संगीत बजाते हैं तो अगर तार बहुत ढीला है तो उसका सुर अच्छा नहीं आएगा, तार बहुत कसा गया है तो टूट जाएगा। इसलिए यह संतुलन पैदा करने से जुड़ा है। कप्तान के रूप में संतुलन पैदा करना सबसे जरूरी होता है। आपको पता होना चाहिए कि कब तार को कसना है और कब उसे थोड़ा ढीला रखना है। यह समय पर निर्भर करता है। इस स्तर पर मैं यह भी समझ गया हूं कब खिलाड़ियों से कैसी बात करनी है और कितनी बात करनी है।’
‘संतुलन बनाना सबसे जरूरी’
धवन ने आगे कहा, ‘किसी गेंदबाज की गेंद पर अगर शॉट लगता है तो यह जानना जरूरी है कि उससे कब बात करनी है। जब माहौल में गर्मी हो तो मैं उससे बात नहीं करूंगा। इसके बजाय मैं उससे बाद में सहजता से बात करूंगा। यह इस पर भी निर्भर करता है कि आप किस स्तर पर कप्तानी कर रहे हैं। यदि यह आईपीएल है तो ज्यादातर खिलाड़ी परिपक्व होते हैं, इसलिए आपको यह सोचना पड़ेगा तार कसना है या नहीं। रणजी ट्रॉफी में कुछ अवसरों पर आपको दृढ़ता दिखानी होती है क्योंकि उस स्तर पर कुछ खिलाड़ी कच्चे घड़े की तरह होते हैं और आपको उन्हें ढालने के लिए सख्त बनना पड़ता है। संतुलन बनाना जरूरी है।’